लोडर क्या है? What is loader in Hindi

आज कि पोस्ट में हम बात करेंगे लोडर क्या है? (What is loader in Hindi) और ये कैसे काम करता है. हम इसके बारे में बेसिक जानकारी प्राप्त करेंगे वो भी एक दम सरल भाषा में.

लोडर क्या है? (What is Loader in hindi)

प्रोग्रामिंग में लोडर एक ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रोग्राम होता है जो डिस्क से executable file को प्राइमरी मेमोरी में execution के लिए लोड करता है.

फिर ये मेन मेमोरी में executable फाइल के लिए एक स्पेस निर्धारित कर देता है.

और तब कण्ट्रोल, प्रोग्राम के शुरूआती इन्स्ट्रशन को ट्रांसफर कर देता है. ये तो बात हुई सरल भाषा में लोडर क्या होता है. अब थोड़ा बारीकी से इस पर बात करते है.

ये सुनिश्चित करता है कि execute होने वाले प्रोग्राम में जरुरी प्रोग्राम और लाइब्रेरी लोड किये गए है. 

ये चीजे किसी भी प्रोग्राम को रन करने के लिए सबसे जरुरी होती है ये execution के लिए जरुरी प्रोग्राम और लाइब्रेरी को मेंन मेमोरी में लोड करता है. ध्यान रहे ये इन निर्देशों को पढता है.

फिर मेमोरी में स्टोर करता है. लाइब्रेरी फाइल की वजह से ज्यादातर प्रोग्राम के शुरू होने से पहले एक स्प्लैश स्क्रीन दिखाई देती है.

ये हमे बताती है कि आखिर बैक ग्राउंड में क्या हो रहा है? लोडर कैसे काम कर रहा है और कैसे वो मेमोरी को भर रहा है. ये सारा प्रोसेस होने के बाद प्रोग्राम execution के लिए तैयार हो जाता है यदि आप कोई बड़ी लाइब्रेरी फाइल को लोड करवाते है.

तो ज्यादा समय लग सकता है जैसे बड़े गेम, 3D और CAD सॉफ्टवेयर. कुछ लाइब्रेरी फाइल के उदाहरण <math.h> <signal.h> <limits.h> <stdbool.h> <tgmath.h> है.

लोडर कैसे काम करता है (How loader works in hindi)

कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम में, एक लोडर एक घटक है जो किसी दिए गए प्रोग्राम (जो एक एप्लिकेशन हो सकता है या कुछ मामलों में, ऑपरेटिंग सिस्टम का एक हिस्सा भी हो सकता है) को ऑफलाइन स्टोरेज (जैसे हार्ड डिस्क) में लोड करता है.

फिर इसे मेन स्टोरेज (RAM) में लोड करता है. और प्रोग्राम को एक्सीक्यूट करने की परमिशन देता है.

लोडिंग की गति सीपीयू और रैम की गति पर भी निर्भर है.

सिर्फ जरुरी लाइब्रेरी फाइल को प्रोग्राम में यूज़ किया जाता है या लोड किया जाता है गैर जरुरी फाइल को लोड नहीं किया जाता है.

लोडर लोडिंग को करता है. लोडिंग का मतलब है. executable file को अच्छी तरह पढ़ना क्युकि executable file में प्रोग्राम को रन करने के इंस्ट्रक्शन होते है.

लोडर प्रोग्राम बनाने के शुरूआती काम को भी करता है. जो executable file को तैयार करने के लिए जरुरी होता है. जिसमे कुछ सेकंड से लेकर मिनट तक का समय लगता है. इस पर लगने वाला समय file के आकर पर निर्भर करता है.

आप ऊपर दी गयी इमेज को देखकर आप समझ सकते है आखिर एक प्रोग्राम कैसे काम करता है? और किन किन स्टेप से गुजरता है. एक प्रोग्राम “source code> compiler>object code>linker>executable file>loader> memory” इतने स्टेप्स से गुजरता है.

Important points of loader in programming

  • कंप्यूटर में लोडर सभी परिस्थितियों में मुख्य मेमोरी में रहना चाहिए.
  • एक सिस्टम प्रोग्राम जो प्रोग्राम के अलग-अलग compiled modules को execution के लिए लिंकिंग लोडर रूप में जोड़ने का काम करता है.
  • absolute लोडर में ये जरुरी होता है कि प्रोग्रामर को बची हुई मेमोरी का एड्रेस पता होना चाहिए.
  • रिलोकेशन बिट्स रिलोकेटिंग लोडर द्वारा यूज़ की जाती है जिसे लिंकर द्वारा स्पेसीफ़ाई किया जाता है.
  • सबसे पावरफुल पर्सर “कैनोनिकल LR” है.
  • एक लिंकर को अलग-अलग कमपाइल्ड प्रोग्राम के एक सेट के लिए ऑब्जेक्ट मॉड्यूल दिया जाता है. ऑब्जेक्ट मॉड्यूल में आतंरिक सिंबल का absolute एड्रेस शामिल करने की आवश्यकता नहीं है.
  • प्री-प्रोसेसर भाषा प्रोसेसिंग सिस्टम  का फर्स्ट मॉडुल है.
  • ऑब्जेक्ट कोड कम्पाइलर या असेम्बलर का आउटपुट होता है.
  • absolute लोडिंग स्कीम में “लोडिंग” फंक्शन को लोडर द्वारा पूरा किया जाता है.

लोडर कितने प्रकार होते है (Types of Loader) ?  

  • Absolute Loader
  • Bootstrap Loader
  • Relocatable Loader
  • Direct Linking Loader

Conclusion

आज हमने जाना कि लोडर क्या है? (What is loader in Hindi) और ये कैसे काम करता है इसके बारे में हमने एक बेसिक जानकारी प्राप्त की है वो भी एक दम सरल भाषा में.

उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आयी होगी. इसलिए इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे. अगली पोस्ट आपको किस टॉपिक पर चाहिए आप ये कमेंट में बता सकते है.

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